राजस्थान का लोक नृत्य चरी जिसमें कलाकार एक के बाद एक कलश या चरी की संख्या बढाते हुये लोक गीत पर नृत्य प्रस्तुत करता है। इसी बीच वह परात, तलवार, कांच की किरचों पर नृत्य करता हुआ अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है कि उसका संतुलन देख कर दर्शक दांतों तले अगुंली दबा लेते है।
इस नृत्य में बहुत अधिक अभ्यास व ध्यान की आवश्यकता होती है।