My Oil Painting
और भी कुछ रचा है यहाँ
भोर की पहली किरण
मन से मनव्योम तक ----
http://bhorkipehlikiran.blogspot.com/
मंगलवार, 5 जनवरी 2010
इितहास की जुबां
http://www.blogger.com/post-edit.g?blogID=3696472272149942768&postID=6864524770901818721मिंदर के गिलयारे में भित्ति चित्र....जो वषांे से होती पुताई से दब गये थे जिन्हें अब सफाई व सावधानी से रसायन से धोकर वािपस उसी रुप मे लाया गया।मिंदर के पट्ट मे उकेरा लेख....जिसमें लिखा है कि रानी च्ज्ञौहान अपने पीहर से यह मूिर्त साथ लाई थी फिर मंिदर बनवाया गया थ।
इतिहास की जुबां
सदस्यता लें
संदेश (Atom)